आईटी अधिनियम की धारा 66A

आईटी अधिनियम की धारा 66A


संदर्भ: सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अदालत द्वारा इसे असंवैधानिक ठहराए जाने के बावजूद अपराधों के लिए ‘सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A’ (Section 66A of the Information Technology Act) के तहत राज्यों द्वारा प्राथमिकी दर्ज करना जारी रखने पर “गंभीर चिंता” व्यक्त की है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 (A):

 आईटी अधिनियम, 2000 (IT Act, 2000) की धारा 69 (A) के अंतर्गत केंद्र सरकार के लिए ‘सोशल मीडिया मध्यस्थों’ को ब्लॉकिंग आदेश जारी करने की अनुमति प्रदान की गयी है।

  • धारा 66A (Section 66A), कंप्यूटर या किसी अन्य संचार उपकरण जैसे मोबाइल फोन या टैबलेट के माध्यम से “आपत्तिजनक” संदेश भेजने पर सजा को परिभाषित करती है।
  • इसके तहत दोषी को अधिकतम तीन साल की जेल और जुर्माना हो सकता है।

24 मार्च, 2015 को ‘श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ’ मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ए को पूरी तरह से रद्द कर दिया और फैसला सुनाया कि यह अनुच्छेद 19(1) (a) का उल्लंघन है।

धारा 66A को निरसित किए जाने के कारण:

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, धारा 66A संविधान के अनुच्छेद 19(1) (a) के तहत, मनमाने ढंग से, अतिशय पूर्वक और असमान रूप से ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार’ पर हमला करती है, और इन अधिकारों और इन पर लगाए जाने वाले उचित प्रतिबंधों के बीच संतुलन को बिगाड़ती है। इसके अलावा, प्रावधान के तहत अपराधों की परिभाषा, व्याख्या के लिए ‘खुली हुई’ (open-ended) और अपरिभाषित है।