अंतरराष्ट्रीय व्यापार को ‘रुपये’ में किए जाने पर सरकार का जोर: क्यों और कैसे

अंतरराष्ट्रीय व्यापार को ‘रुपये’ में किए जाने पर सरकार का जोर: क्यों और कैसे

सदर्भ: इस आर्टिकल में ‘सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ‘रुपये’ में किए जाने पर जोर दिए जाने’ के बारे में महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा की गयी है।

वर्तमान व्यवस्था: वर्तमान में अधिकांश व्यापार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है, जिसमें किसी आयातक को भारत से वस्तुओं का आयात करने पर अमेरिकी डॉलर में भुगतान करना पड़ता है और जिससे निर्यातक को कठिनाई होता है, क्योंकि उसे डॉलर को भारत में उपयोग के लिए ‘भारतीय रुपये’ में परिवर्तित करना पड़ता है। .

‘भारतीय रुपए में भुगतान प्रणाली’ पर किया जा रहा कार्य:

  • किसी भी देश के साथ व्यापार लेनदेन का निपटान करने के लिए, भारत में स्थित बैंकों द्वारा ‘व्यापार के लिए’ भागीदार देश के अभिकर्ता बैंक/बैंकों में ‘वोस्ट्रो खाते’ (Vostro accounts) खोले जाएंगे।
  • भारतीय आयातक, इन खातों में अपने आयात के लिए ‘भारतीय रुपए’ (INR) में भुगतान कर सकते हैं। आयात से अर्जित होने वाली आय का उपयोग, भारतीय निर्यातकों को ‘भारतीय रुपये में भुगतान करने के लिए’ किया जा सकता है।

‘वोस्ट्रो खाता’ (Vostro account), किसी अभिकर्ता बैंक (correspondent bank) द्वारा किसी अन्य बैंक की ओर से रखा जाने वाला ‘खाता’ होता है – उदाहरण के लिए, HSBC वोस्त्रो खाता भारत में एसबीआई द्वारा प्रबंधित किया जाता है।

रुपये में कारोबार किए जाने (ट्रेडिंग) के फायदे:

  • इससे ‘रूस’ के साथ व्यापार करने में आसानी होगी;
  • डॉलर के बहिर्वाह पर नियंत्रण;
  • रुपये के अवमूल्यन में कमी;
  • भारत से निर्यात पर जोर देते हुए वैश्विक व्यापार के विकास को बढ़ावा; और
  • भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती रुचि का समर्थन करना।

सरकारी उपाय:

भारतीय रिजर्व बैंक ने चालान (invoicing), भुगतान और निर्यात/आयात का भारतीय रुपए’ (INR) में निपटान करने हेतु एक अतिरिक्त व्यवस्था की है।

सीमाएं:

  • इस व्यवस्था से ‘रुपये के अवमूल्यन’ को किसी भी हद तक रोकने में मदद की उम्मीद नहीं है।
  • चूंकि, ‘रुपये’ की विश्वसनीयता ‘अमेरिकी डॉलर’ से कम है अतः सभी देश ‘रुपये’ में व्यापार करने के लिए सहमत नहीं हो सकते।