वर्ष 1947 में भारत को ‘स्वराज’ की प्राप्ति और वर्तमान में ‘सुशासन’ के लिए कोशिश
वर्ष 1947 में भारत को ‘स्वराज’ की प्राप्ति और वर्तमान में ‘सुशासन’ के लिए कोशिश
संदर्भ: यह आर्टिकल ‘भारत, लोकतंत्र और वादा किए गए गणतंत्र’ शीर्षक से दिए गए पिछले आर्टिकल के आगे का भाग है।
(नोट: वेंकैया नायडू द्वारा लिखित इस आर्टिकल के कुछ बिंदु एक बार देखे जा सकते हैं। नोट्स बनाने की जरूरत नहीं है।)
वर्तमान भारत को किन प्राचीन सांस्कृतिक लोकाचारों का पालन करने की आवश्यकता है?
- अहिंसा या अहिंसा का सिद्धांत: ‘अहिंसा का मंत्र’, हमारे महान राष्ट्र के सांस्कृतिक और सभ्यतागत लोकाचार में निहित है।
- कठिन समय में अनुकूलन एवं आशा का पाठ: जो सांस्कृतिक और सभ्यतागत निरंतरता हमें एक साथ बांधती है, उसे न तो आक्रमणकारी और न ही उपनिवेशवादी तोड़ सके।
- समानता, एकता और समावेशिता का विचार।
- प्रकृति संरक्षण: भारत के प्राचीन ग्रंथ, ‘तत्वों – नदियाँ, पहाड़, पवित्र वृक्ष और पौधों- में परमात्मा की पूजा’ के उदाहरणों से भरे हुए हैं। यह सब हमें ‘प्रकृति के संरक्षण’ के लिए प्रोत्साहित करता है।
वर्तमान में, भारत अभी भी गरीबी, निरक्षरता, लैंगिक भेदभाव, भ्रष्टाचार और असमानता जैसे मुद्दों से ग्रसित है।
इन सब मुद्दों को दूर करने के लिए, श्री नायडू निम्नलिखित सुझाव देते हैं:
- गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए सार्वभौमिक और सस्ती पहुंच।
- देश भर में ग्रामीण बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार।
- मातृभाषा को बढ़ावा देने से शैक्षिक परिदृश्य को और अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाकर क्रांतिकारी बदलाव आएगा।